पूर्वांचल में सड़क विकास का एक ऐतिहासिक कदम
20 जून 2025 को गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का औपचारिक उद्घाटन हो गया। 91.35 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे सिर्फ एक सड़क नहीं है, बल्कि यह पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को जोड़ने वाला एक जीवन-रेखा है, जो दूरी कम करेगा, समय बचाएगा और क्षेत्र को आधुनिक विकास की दिशा में ले जाएगा।
यह एक्सप्रेसवे, गोरखपुर के जैतपुर से आजमगढ़ के सालारपुर तक बना है और सीधे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। यह राज्य के प्रमुख व्यवसायिक और परिवहन मार्गों को आपस में जोड़ता है।
पहले गोरखपुर से लखनऊ जाने में 6 घंटे से ज़्यादा समय लगता था, अब यह दूरी केवल 3.5 घंटे में पूरी हो रही है। यह सिर्फ समय की बचत नहीं, बल्कि पूरे इलाके के यातायात का नया चेहरा है।
स्थानीय लोगों को भी इसका फ़ायदा मिल रहा है। जैतपुर से उर्वा जाने में पहले लगभग 1 घंटा लगता था, अब यह सफर 25 मिनट में पूरा हो रहा है।
यह मार्ग चार ज़िलों से होकर गुजरता है – गोरखपुर, संत कबीर नगर, अम्बेडकर नगर और आजमगढ़। इससे उन क्षेत्रों को भी तेज़ विकास की राह पर लाया गया है, जिन्हें पहले नज़रअंदाज़ किया गया था।
कुल परियोजना लागत: ₹7,283.28 करोड़
निर्माण एजेंसी: उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए)
निर्माण कंपनियाँ:
इस विशाल परियोजना में 7 फ्लाईओवर, दर्जनों अंडरपास और लगभग 400 कलवर्ट बनाए गए हैं। यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह से नियंत्रणित प्रवेश वाला है, जिससे ट्रैफिक में रुकावट नहीं आती और सुरक्षा बनी रहती है।
इस एक्सप्रेसवे का हर किलोमीटर आधुनिक इंजीनियरिंग का उदाहरण है। इसमें उच्च क्षमता वाली कंक्रीट मिक्सिंग मशीनें, लेज़र-निर्देशित पक्की मशीनें और जीपीएस वाली रोलर मशीनों का उपयोग किया गया।
निर्माण की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हर कार्य की निगरानी रीयल-टाइम में की गई – मजबूती, चिकनाई और खत्मी पर विशेष ध्यान दिया गया।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर आधुनिक ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली (एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) लगाई गई है, जो स्विट्ज़रलैंड की ईटीएच ज्यूरिख संस्था के सहयोग से बनाई गई है।
इसमें एक्सेलेरोमीटर आधारित सेंसर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सीसीटीवी कैमरे, गति नापने वाले यंत्र और नंबर प्लेट पहचान प्रणाली लगी है। ये सब मिलकर एक ऐसी सड़क बनाते हैं जो खतरे को पहले पहचानती है और उसी समय कार्यवाही करती है।
दुर्घटना, वाहन खराबी या चिकित्सकीय आपात स्थिति – किसी भी समय हो सकती है। इसलिए हर 45 किमी पर प्रशिक्षित पूर्व सैनिकों की टीम तैनात की गई है, जिनके पास एम्बुलेंस, क्रेन, हाइड्रोलिक लिफ्ट और नियंत्रण वाहन मौजूद हैं।
इससे यात्रियों को मानसिक शांति मिलती है और योजना बनाने वालों को सुरक्षा का भरोसा।
यह एक्सप्रेसवे सिर्फ यात्रा को आसान नहीं बनाता, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास का आधार भी है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे सिर्फ एक बुनियादी ढाँचा नहीं है, यह राज्य के विकास की दिशा को दिखाने वाला रास्ता है। ग्रामीण इलाकों को आर्थिक केंद्रों से जोड़ने का यह प्रयास समावेशी विकास की मिसाल है।
भविष्य में इसमें और सुधार होंगे – फीडर सड़कें, उद्योगिक क्लस्टर और और भी बुद्धिमान तकनीकें जुड़ेंगी।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अब केवल खुला नहीं है, यह जीवंत है, आधुनिक है और परिवर्तनकारी है। यात्रियों के लिए यह गति और सुरक्षा लाता है। व्यवसाय के लिए यह विस्तार और सुविधा लाता है। और इस पूरे क्षेत्र के लिए यह जुड़ा हुआ और प्रतिस्पर्धी भविष्य बनाता है।
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